नित्य अनंत आपपरतें पूजावांः |
नित्य स्वानंद हरीसीं भजावा |
नित्यार्थ हरी रममानुऽ सदैवीं |
मनारती हरीर्थ स्वभावींः || १ ||
करिलें जेंऽ कृत्यः तयाऽ तोचींऽधार |
करिलें जेंऽ शरणः तयाऽ तोचीं तो आधारः |
मम् भावातीत आनंदात्मय सदैवुऽ |
दत्ताश्रय अवतारिं सारबीजत्त्व धारणः || २ |||
मातृऽपितृऽ देवतारूऽ |
एकहरीबीज प्रकटप्रयागुच्चारूः |
हरी म्हणें पुनितात्मनीं |
श्रीवद्यम् वदयामिम् सदाः || ३ ||||
* सौजन्य : बाल संस्कार योग शाळा
* Charudatta Thorat AbhangaGatha
नित्य स्वानंद हरीसीं भजावा |
नित्यार्थ हरी रममानुऽ सदैवीं |
मनारती हरीर्थ स्वभावींः || १ ||
करिलें जेंऽ कृत्यः तयाऽ तोचींऽधार |
करिलें जेंऽ शरणः तयाऽ तोचीं तो आधारः |
मम् भावातीत आनंदात्मय सदैवुऽ |
दत्ताश्रय अवतारिं सारबीजत्त्व धारणः || २ |||
मातृऽपितृऽ देवतारूऽ |
एकहरीबीज प्रकटप्रयागुच्चारूः |
हरी म्हणें पुनितात्मनीं |
श्रीवद्यम् वदयामिम् सदाः || ३ ||||
* सौजन्य : बाल संस्कार योग शाळा
* Charudatta Thorat AbhangaGatha
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