श्रीक्षेत्र काव्य विष्णु सदन ज्ञानमंदिर (महाराष्ट्र) येथून,
* चारूदत्ताश्रय क्रीया अखंडज्ञानयोग द्वारा प्रदर्शित...
|| दत्ताश्रय इंद्रियमानसतत्त्वबोधम् ||
अनिष्टता येणें इंद्रियबोधाकारणें |
जे तयाचीं वितुष्टीं करीतसें ग्रहणें |
तया कैचे होणें ? | पराकाम्य कृपीकाः || १ ||
पराकाम्य जननी नित्य सेवीतसे श्रयणी |
सत्त्वगुणीताश्रयणी | प्रऽ पराम् तत्त्वः || २ ||
नित्य ज्ञानेश्वर येथ धरीं आचर |
ज्ञानाचाचीं वावर करीतसेंऽ येथींः || ३ ||
दास दत्ताश्रय सेवीत उभा प्राणाशरितम् |
निर्विकल्पायम् शरितम् शरितम् || ४ |||
(गुरूवर्य) - श्री विष्णुभक्त चारूदत्त
Teacher - Shri. VishnuBhakta Charudatta
ब्रीद :- *व्यसनमुक्त समाज हाचं आमचा जीवनध्यास*
* चारूदत्ताश्रय क्रीया अखंडज्ञानयोग द्वारा प्रदर्शित...
|| दत्ताश्रय इंद्रियमानसतत्त्वबोधम् ||
अनिष्टता येणें इंद्रियबोधाकारणें |
जे तयाचीं वितुष्टीं करीतसें ग्रहणें |
तया कैचे होणें ? | पराकाम्य कृपीकाः || १ ||
पराकाम्य जननी नित्य सेवीतसे श्रयणी |
सत्त्वगुणीताश्रयणी | प्रऽ पराम् तत्त्वः || २ ||
नित्य ज्ञानेश्वर येथ धरीं आचर |
ज्ञानाचाचीं वावर करीतसेंऽ येथींः || ३ ||
दास दत्ताश्रय सेवीत उभा प्राणाशरितम् |
निर्विकल्पायम् शरितम् शरितम् || ४ |||
(गुरूवर्य) - श्री विष्णुभक्त चारूदत्त
Teacher - Shri. VishnuBhakta Charudatta
ब्रीद :- *व्यसनमुक्त समाज हाचं आमचा जीवनध्यास*
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